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24 May 2020 · 1 min read

देश सँवारना होगा …

बरसो गुजर गए, देखे अपना मुख,
सबके दुःख से, भूल गया अपना सुख,

सोचा था सुंदर होगा,तेरा यह जहान,
क्या क्या सजा कर रखे थे, मैंने अरमान,

सब धुल गए इस स्वार्थ की आंधी में,
दुनिया तो चले कागज के गांधी में,

यहाँ अपने लिए सब जीते ,
कोई किसी के नहीं होते,

मतलब के सारे रिश्ते नाते,
जहाँ देखो हम यही पाते,

वह देखो लड़ रहे भाई भाई ,
रखते आज हिसाब पाई पाई,

फैल रहा धीरे धीरे कैसा जहर,
बचा नही अब कोई गांव शहर,

लोभ मोह काम क्रोध ने पैर पसारे,
ईर्ष्या झूठ पाप चले इनके सहारे,

कैसे होगा वतन सोने की चिड़िया,
कैसे टूटेगी यह बंधी हुई बेड़ियाँ,

आओ मिलकर हम सब करें संकल्प,
ढूँढे चहुँओर शांति के कुछ विकल्प,

मन में संयम रखना होगा,
भाई चारा फिर से बढ़ाना होगा,

अपना अपना छोड़कर वतन बचाना होगा,
थोड़े थोड़े बलिदान से देश सँवारना होगा,
—-जेपीएल

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 359 Views
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