देश बदल रहा है
देश बदल रहा है
देखो सत्तापक्ष मचल रहा है।
कहते हैं देश बदल रहा है।।
किसान फंदा लगा रहे हैं,
दलित नित मार खा रहे हैं,
अल्पसंख्यक दले जा रहे है,
यही सब कुछ चल रहा है।।
कहते हैं देश बदल रहा है।
भय दहशत पूरी मात्रा में है,
नेता जी विदेश यात्रा में है,
फीजी, जावा-सुमात्रा में है,
मूर्ख बनाने में सफल रहा है।
कहते हैं देश बदल रहा है।।
मंदिर-मस्जिद के झगडे़ हैं,
मठाधीश एक-एक तगड़े हैं,
फसादों ने आम जन रगडे़ हैं,
जनहितकार्य विफल रहा है।।
कहते हैं देश बदल रहा है।।
धर्म को धर्म से लड़ा रहे हैं,
जाति-जाति से भिड़ा रहे हैं,
अमन में टांग अड़ा रहे हैं,
अराजकता में बल रहा है।
कहते हैं देश बदल रहा है।।
सिल्ला बच,ओछे हथकंडे हैं,
धर्मस्थलों में खाते मुस्तंडे हैं,
युवाओं के हाथों में डंडे हैं,
वो मौजमें है,देश जल रहा है।
कहते हैं देश बदल रहा है।।
-विनोद सिल्ला©