देश को कौन बचाएगा
तुम्ही देश को फूंकोगे तो, देश को कौन बचाएगा?
देश बचाने की खातिर, बलिदान कौन हो पाएगा??
देश फूंकने को आतुर, वो हर जुम्मे को रहते हैं।
देश बने गजवा ए हिन्द, वो हर दम तत्पर रहते हैं।।
तुम भी राह वही पकड़ोगे, देश को कौन बचाएगा?
भारत माँ अब तड़फ रही हैं, देश को कौन बचाएगा??
देश फुकने वाले तुम क्या, देश बचाने आओगे?
जिनको मतलब ना हो देश से, देश बचाने आओगे।।
देश फुक गद्दार बनोगे, कलंक मिटाना पाओगे।
भारत माँ का कर्ज जो हमपे, कभी चुकाना पाओगे।।
इतना जोश भरा अगर था, जुम्मे को ही आना था।
धर्म पर अपने बात खड़ी थी, जुम्मे को ही आना था।।
कायरता की तुम मूर्त थे, जब घरों मे अपने बैठे थे।
रक्त तुम्हारा खोला ना था, जब घरों मे अपने बैठे थे।।
देश प्रेम का जज्बा हैं तो, राह बहुत हैं जीने की।
मात-पिता का कर्ज बहुत है, वजह बहुत हैं जीने की।।
जो लटक रहे हैं पेड़ों से, वो मात-पिता के दुश्मन हैं।
जो छिड़क तेल और झुलस रहे हैं, मात-पिता के दुश्मन हैं।।
जो सगे नहीं हैं मात-पिता के, देश से उनको मतलब क्या?
जब धर्म की उनको टीस नहीं तो, देश से उनको मतलब क्या??
आज देश जब दोराहे पर, शत्रु से टकराने को।
जिनके दम पर देश खड़ा हैं, शत्रु से टकराने को।।
वो तो देश धर्म को भूले, देश जलते फिरते हैं।
लूटपाट वो करते हैं, कलंक लगाते फिरते हैं।।
सीखो उनसे देखो उनको, देश हमारा अपना ये।
कब्जा करके बैठ गए तो, नहीं बचेगा अपना ये।।
कश्मीर देख के सीखे ना, केरल भी देख के सीखे ना।
देश बाट के सीखे ना, अब देश जला के सीखे ना।।
जागो जागो प्यारे जागो, भविष्य नहीं ये अपना हैं।
देश हमारा अपना हैं और धर्म हमारा अपना हैं।।
ललकार जगाता तुमको अब, पहचान करता तुमसे अब।
देश के ऊपर कुछ भी ना, ललकार बताता तुमको अब।।
बटे रहे तो कट जाओगे, ललकार बताता तुमको अब।
भूल गए अतीत को अपने, ललकार जगाता तुमको अब।।
ललकार भारद्वाज