देश के रखवालों को भी होली शुभ हो
“ताटंक छंद”
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विधान— चार चरण, 16-14मात्रा निर्धारण, दो दो चरणों में समतुकान्त, चरणान्त में ‘मगण’- 222 तीन गुरु अनिवार्य।
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शीर्षक– “देश के रखवालों को भी
होली शुभ हो”
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मातृ भूमि के रक्षक है जो,
शुभ उनको भी होली है।
सीमा के प्रहरी बनते जो,
सुखकर उनको होली है।
सदाहि समर्पण कर्म पथ जो,
खेले नित रंगोली है।
मां की पावन रज चरणों की,
माने अबीर रोली है।
सुख चैन की नींद सब सोते,
पहरा सैनिक देते हैं।
तपते ठिठुरते बारह मास,
हर विपदा हर लेते हैं।
हर दिन जिनको त्योहार लगे,
रात परीक्षा की बोली।
ईद दीवाली और राखी,
या रंगों की हो होली।
उन वीरों पर गर्व हमें है,
जान तोल पर तोली है।
मंसूबों को निरस्त करके,
शत्रु पर दागी गोली है।
देश की रक्षा करते जो,
शुभ उनको भी होली है।
सीमा के प्रभारी बने जो,
सुखकर उनकी होली है।
(देश के समस्त वीरों, सैनिकों को भी होली की हार्दिक शुभकामनाएं)
शीला सिंह
बिलासपुर हिमाचल प्रदेश🙏