देश की हालात
देश की हालात
इस देश की नेताओं का कैसा विचार है,
कि आज भी इस देश में जनता लाचार है,
कैसे करूँ अब, सही मैं इनको,
दुविधा में पड़ा हमसभी का सरकार है ।।
एक हिस्सा में धनवान-जमीनदार पलते,
दूसरा में बड़े-बड़े किसान है ।
तीसरा दिहाड़ी-मजदूर-बेरोजगार है यहाँ,
चौथा भीख माँगने पर अलचार है ।।
हृदय विदारक दृश्य है इनका,
हमसे न देखा जाता ।
किसने रचा था ऐसा जाल,
जिसके चलते ये आज भी हैं पछताता ।।
तुम घबराओ नहीं समय आने दो,
इस समय का लिखा भी, एक किताब होगा ।
बहुत जुल्म कर लिये वो,
बचकर जायेंगे, कहाँ ईश्वर से,
यहाँ, उनका भी हिसाब होगा ।।