देश की खड़ी है खाट
छीन झपट मार काट,
हर तरफ़ है लूट पाट।
भावहीन चेहरे सपाट,
देश की खड़ी है खाट।
जात पात नरबली,
क्यों तुम्हारे सिर चढ़ी?
राजनीति की बिसात,
देश की लगी है वाट।
सांठ गांठ,बांट नोट,
नेता ने खरीदे वोट।
भ्रष्टाचार संग फेरे सात,
देश की लगी है वाट।
माता रोती है कहीं,
पिता को चैन है नहीं।
पुत्र पर लगा है घात,
देश की लगी है वाट।
सिर उठा जो, दब गया,
कट के धड़ से गिर गया।
कंठ से निकले न बात,
देश की खड़ी है खाट।