देश अपना है बहुत खाने कमाने को।
गज़ल
काफ़िया- आने
रद़ीफ- को
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ा
2122……2122……2122……2
छोड़ना माँ बाप को मत दूर जाने को।
देश अपना है बहुत खाने कमाने को।
दे न पाये गर उन्हें तुम प्यार औ परवाह,
क्या करोगे भर के तुम ऐसे खजाने को।
जो भी खुशियाँ दे सको देदो उन्हें है वक्त,
फिर नहीं मिलते हैं ये मस्तक झुकाने को।
कहते हैं माँ बाप ही हैं दूसरे भगवान,
क्यों हुए तैयार फिर मंदिर में जाने को।
सबसे अच्छे मार्ग दर्शक औ’र गुरू भी हैं,
सब मिला है ज्ञान उनसे ही जमाने को।
गम रहा प्रेमी हमेशा उनके जाने का,
बस बची यादें ही अब दिल से लगाने को।
……✍️ सत्य कुमार प्रेमी