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15 Feb 2021 · 1 min read

देशहित राष्ट्रवाद में शामत आई

ये कैसा प्रबंधन है साहेब,
सरकारी कुछ छोडा नहीं,
भत्ते रुठकर खडे हो गये,
रसोई गैस पर लगाम नहीं,
बदत्तर हुये घर के हालात,
राम-मंदिर एक सहारा बताया,
जो बिगाड़ दिये सब व्यवहार,
एक तो चंदा ऊपर से मंदा,
अब तू ही बता,क्या करे बंदा.
हवाले देकर काश्मीर का,
मुल्क हुआ इकसार सार,
सार अब कैसे निकले,
प्राण बचे, जस् अब निकले,
भूख,प्यास एक समान सबके,
लगता नहीं जैसे रब सबके,
पीटते बहुत रोवण देते ना,
चहुंओर मजबूरी छाई.
देशहित राष्ट्रवाद में शामत आई.

महेन्द्र सिंह हंस

Language: Hindi
1 Like · 4 Comments · 171 Views
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