||देशहित के लिए खुद में परिवर्तन जरुरी ||
“हर साल बदलते जाते है हम
कैलेंडर नए -नए से घर में
ना सोचा कभी है हमने
कुछ बदलाव करने की खुद में ,
देख समाचार देश दुनिया के
रोज सुबह अख़बारों में
चिंता बहुत जताते है हम
देश के अपने दुर्भाग्यों में ,
इस देश का ना कुछ हो सकता है
कहते ऐसी चाय की चुस्किया लेके
क्या खुद कुछ कोशिश हमने की है
कुछ कार्य देशहित में करने की ,
जीवन पूरा गुजर जाता है
खुद के कार्यों को पूरा करने में
चंद वक्त दे सके इस देश को हम
ना मुश्किल है ऐसा करने में ,
हर कोई कोशिश करे अगर थोड़ी सी
ये देश सहज ही बदल जायेगा
सोने की चिड़िया कहलाने वाला ये देश
खुद सोने का हो जायेगा ,
हर कैलेंडर के साथ हम भी बदले
और करे एक नया संकल्प रोज
कुछ काम हो इस देशहित में भी
जीवन का ऐसा उद्देश्य हो रोज ||”