देशभक्त
देश है देश के हित के लिए मर मिटे,
त्याग दिए प्राण भी उन्हें हमने क्या दिए,
आग में कूद कर स्वयं को उन्होंने भस्म किये,
फूलों के शीश को चढ़ा दिये ईश को ,
देखकर जोश होश सबके उड़ गये,
जीवनदान देकर बगीचे में पुष्प खिल गये,
रणभूमि में साथ सब ने उनका छोड़ दिया ,
आंसुओं की धारा लेकर बाहों में हमने भर लिये,
स्वयं दु:ख पाकर दूसरों को सुख दे गये,
मिट्टी में मिलकर भारत मां के लाल बने,
देश है उनका जो देश के लिए कुछ दे गये,
अंगारों को ठंडा कर हरियाली फैला गये,
मार्ग पर डटे रहे मृत्यु से लड़ते रहे ,
बलिदान शीश करते रहे जीवन दान करते रहे ,
आज उनकी याद में पुष्प हमने अर्पित किये,
आंसुओं की दो बूंद से प्यास उनकी हर सकें ,
देश है देश के हित के लिए फिर से वह मर सके ,
गर्व हो उन्हें फिर से शहीद हो सके ।