देशभक्ति
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“ये लो गरीबी में आटा गीला। ऐसे ही क्या कम खर्चे हैं, जो अब एक दिन की सेलरी और गई।” अखबार पढ़ते हुए संतराम जी बोल पड़े।
“क्यों क्या हुआ ?” श्रीमती जी ने आश्चर्य से पूछा।
“अखबार में छपी खबर के मुताबिक मैनेजमेंट ने डिसीजन लिया है कि अगले महीने सभी कर्मचारियों की सेलरी में से एक-एक दिन की राशि पुलवामा हमले में शहीदों की मदद के लिए प्रधानमंत्री राहत कोष के लिए भेजी जाएगी।” वह निश्वास छोड़ते हुए बोला।
“इसमें इतना उदास होने की क्या बात है जी। वे सैनिक हमारे लिए अपना जीवन कुर्बान कर सकते हैं, तो क्या हम अपनी एक दिन की सेलरी भी उनके नाम नहीं कर सकते ?” पत्नी ने उनके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा।
वह कुछ कहता, उससे पहले ही उनकी बारह वर्षीया बेटी अपना गुल्लक उन्हें थमाते हुए बोली, “पापा, इसमें जमा राशि भी आप प्रधानमंत्री राहत कोश में जमा करवा दीजिएगा। मैंने पुलवामा में शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए निर्णय लिया है कि अगले महीने मैं आपसे पॉकिटमनी नहीं लूँगी। आप निश्चिंत होकर अपनी एक दिन की सेलरी डोनेट कर सकते हैं।”
उसने अपनी पत्नी और बिटिया को बाँहों में भर लिया। आज उसे उन पर गर्व महसूस हो रहा था।
– डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़