देशभक्ति मुक्तक
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तिरंगा
तीन रंग का प्यारा झंडा, भारत की है शान।
इस झंडे के खातिर लाखों, वीरों ने दी जान।
झुकने कभी न देंगें इसको, जब तक तन में प्राण-
सबसे ऊँचा रहे तिरंगा, दिल में है अरमान।
भारत माता
कैसे आँख दिखाएगा अब, चीन-पाक उत्पाती।
सरहद पर हैं वीर सिपाही, भारत माँ की थाती।
दुश्मन दहशत से मर जाए, खूब लगाओ नारा-
भारत माता की जय बोलो, चौड़ी करके छाती।
भारत माता
भारत माता की संतान।
सदियों से हैं वीर जवान।
माँ पर आता संकट देख-
हो जाते हँसकर कुर्बान।
देशप्रेम
देशप्रेम की भावना, जन-गण-मन से प्रीत।
अधरों पर हरपल रहे, देशप्रेम के गीत।
सर्वधर्म समभाव हो, आपस में हो प्रेम-
साथी ऐसे मुल्क को, दुश्मन सके न जीत।
(मुक्तक ३० मात्रिक)
देश-प्रेम हो सबके दिल में, भारत सबको प्यारा हो।
सबके लब पर पर सिर्फ एक ही, जय भारत का नारा हो।
सरहद शत्रु न छूने पाये, साँस रहे जबतक तन में-
दुनिया करे प्रणाम जिसे वह, हिन्दुस्तान हमारा हो।
मातृभूमि की रखवाली में, जो भी शीश कटाएगा।
वीरों की गाथा दुनिया का, बच्चा बच्चा गाएगा।
देश-प्रेम से बढ़कर पावन, प्रेम न होता है जग में-
सरहद पर मरने वालों का, नाम अमर हो जाएगा।
(मुक्तक ३२ मात्रिक)
वीरों के अधरों पर हरपल, बलिदानी मुस्कान मिलेगा।
हाथ तिरंगा होगा लब पर, भारत का जयगान मिलेगा।
मुझसे बातें करनी है तो, देश-प्रेम अब दिल में भर लो-
सच्चा हिन्दुस्तानी हूँ मैं, दिल में हिंदुस्तान मिलेगा।
(मुक्तक ३१ मात्रिक)
प्रदत्त शब्द- भारत माता
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, भारत माता के सब लाल।
मिलजुल कर रहना तुम भाई, आपस में मत करो बवाल।
बैठ न जाना छुपकर घर में, दुश्मन की सुनकर ललकार-
सरहद की रक्षा करनी है, दुश्मन से अब तो हम हर हाल।
पावन पर्व है’ आजादी का, देश-प्रेम सांसों में घोल।
हाथ तिरंगा लेकर साथी, भारत माता की जय बोल।
कुर्बानी वीरों की अपनी, दिल से कभी न जाना भूल-
लाखों हुए शहिद वतन पर,आजादी का समझो मोल।
तड़प रही थी भारत माता, दुश्मन करता अत्याचार।
ब्रिटिश हुकूमत से भारत में, मचा हुआ था हाहाकार।
बांध तिरंगा सर पर आये, बोस भगत गांधी आजाद-
हिंद छोड़ तब दुश्मन भागा, देशभक्ति से हो लाचार।
(प्रदत्त शब्द- बलिदान)
आधार छंद-रूपमाल
मापनी-२१२२ २१२२ २१२२ २१
जाति मजहब कुछ नहीं, बस एक ही अरमान।
भारती माँ के चरण में, हो समर्पित जान।
सौ बरस की जिंदगी से एक पल वह ख़ास-
जिस घड़ी अपने वतन पर हो सकूँ बलिदान।
हर घड़ी जिसने किया था राष्ट्र का जयगान।
जान से भी प्रिय जिन्हें था, हिन्द का सम्मान।
है नमन शत् शत् नमन, उनको नमन सौ बार-
देश के सम्मान में जो हो गये बलिदान।
रक्त की इक बूंद भी है, क्रांति की पहचान।
कर दिए लाखों समर्पित, देश हित में जान।
झूठ मत मानों इसे तुम, देख लो इतिहास-
व्यर्थ वीरों का नहीं, जाता कभी बलिदान।
(प्रदत्त शब्द- तिरंगा)
आधार छंद-विधाता
मापनी-१२२२ १२२२ १२२२ १२२२
तिरंगा शान है मेरी, तिरंगा जान है मेरी।
तिरंगे से जगत में आज यह, पहचान है मेरी।
विविध बानी, विविध पानी, विविध यह भेष-भूषा है –
मगर सबके दिलों में हिंद की इक शान है मेरी।
लबों पर हिंद का हर वक्त, हम जयगान रखते हैं।
तिरंगे के लिए हरपल, हथेली जान रखते हैं।
कभी वह शुभ घड़ी आए, वतन कुर्बानियाँ मांगे,
वतन पर मर मिटें दिल में, यही अरमान रखते हैं।
अधर पर है सदा जय हिंद, हिंदुस्तान है दिल में।
वतन खातिर हमेशा से, बहुत सम्मान है दिल में।
कभी यदि मौत आ जाए, खुदा इतना रहम करना-
तिरंगा हो कफ़न मेरा, यही अरमान है दिल में।
(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
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