” देशद्रोह का अभियोग “
” देशद्रोह का अभियोग ”
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
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हम मानते हैं
जहाँ हम जन्म लेते हैं
जिसकीे छावों में
हमारी परवरिस होती है
हम मिट्टी के कणों से
जुड़ें होते हैं
हमें गर्व होता है अपने देश पर
हम एक ही परिवार
के सदस्य हैं
विचारों में मतभेद होता है
कोई स्वर असमानता को
उजागर करता है
कोई दिल में ही रखता है
हमें तो साथ लेकर सबको चलना है
सबके विकास पर ध्यान देना है
सारी विसंगतियों को
दूर करना है
समानता का मंत्र
बोलने की स्वतंत्रता
समस्या को सुलझाना
यही शासक का धर्म होता है
आप खुद देशद्रोही न बनो
देश को परिवार समझो
आपके अभियोग से
अशांत जनमानस रहेगा
इतिहास भी धूमिल रहेगा !!
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डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका
झारखण्ड
भारत