देशद्रोही : देश पर बड़ा कलंक
त्रेता युग में विभीषण ने किया था राजद्रोह ,
परंतु वह राष्ट हित और जनहित में था।
अपने अभिमानी और दुष्ट भाई को सन्मार्ग दिखाने ,
उठाया था उसने विवशता में उठाया था ये पग ।
और द्वापर युग में धृतराष्ट्र ने अपने कुटिल और दुष्ट ,
साले शकुनी की चालों में आकर अपना कुटुंब का ही
नाश कर दिया ।उसकी क्या विवशता थी ?
उसने क्यों उठाया ऐसा विनाशकारी पग ?
और आजकल जो हमारे राजनेता कर रहें है ,
अपने ही देश में रहकर दुश्मन देश को सगा बताते है ,
उन्हें क्या कहें हम ?
आस्तीन के सांप ! यह है सबसे बड़े देशद्रोही ।
विभीषण तो यह हो नहीं सकते ,
घृतराष्ट्र जैसे या उससे भी बढ़कर ,
जयचंद है आज कुछ राजनेता ।
अब इनकी क्या विवशता है ? यह क्यों उठाते है
अक्सर यह घृणित पग ?
यह जो कुछ लोग अपनी सत्ता और सुख हेतु ,
पागल हैं।
यह राष्ट्र के नागरिक नहीं ,राष्ट्र के बहुत बड़े शत्रु हैं
जो नित्य प्रति देश के वीर सैनिकों के खून से भी
ना उतरे वो यह कलंक हैं।
धिक्कार है इन देशद्रोहियों को ..