देवों के देव महादेव
मुक्ति का धाम यह काशी
यहाँ हर कोई तेरा पुजारी,
पर आज उल्टी हवा चली
ममता पर मौत है भारी।
मौत की ले कामना कई
मंगल मौत पर मनाते है,
पर हादसे ऐसे भीषण
तेरे पर प्रश्नचिन्ह लगाते है।
कराहती धरती उड़ीसा की
लाशों के लग गये है ढेर,
कट कर चहु ओर बिखरे
मानव तन जैसे तीतर बटेर।
देवों के देव महादेव
कैसा बन रहा यह योग,
दैवी आपदाएं अनवरत
संयोग बन रहा है वियोग।
दाव पर लग गयी है प्रभु
अब देवों की प्रभुताई,
नाहक जग छोड़ा अनेकों ने
हो रही है अब जगहँसाई।
दया के सिंधु है आप
कृपा के रहे है सागर,
अब तो पुकार सुन लो
लाशों से भर गयी गागर।
गुनहगार कोई भी हो
निर्मेष इन निर्मम मौतों का,
बस जिद यह हमारी है
हो बंद खेल ऐसी फौतों का।
निर्मेष