देवी महात्म्य षष्ठम अंक 6
अंक 6-
षष्टम नवराता
कात्यायनी
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छठा दिवस है नवराता का , कात्यायनी नाम तेरे।
नमन करूँ है मात भगवती,सिध्द करो सब काम मेरे।
कात्यायन ऋषि की बेटी हो , सो कात्यायनी कहलाई।
वामन पुराण की गाथा में , सब देवो की शक्ति पाई।
स्कंद पुराण में है माँ तेरी ,कुछ और कथा ही मिलती है।
परमपिता के सहज क्रोध से , कात्यायनी बनती है।
जो भी हो उतपति कारण पर, रंग तुम्हारा रतनारी।
लाल रंग की चूनर चोली , लाल रंग की ही सारी।
लाल रंग साहस का कारक ,मंगल सूरज संगी है।
सिंह वाहनी तेज तुम्हारा , चार भुजा की अंगी है।
एक हाथ मे मुद्रा वर की ,एक हाथ मे पुष्प कमल।
एक हाथ मे अभय मुद्रा,एक हाथ मे है असिफल।।
‘मधु’तुम्हारा पाथेय प्रिय , शहद पान का भोग प्रबल।
प्रीत प्रेम से पान खिलाओ,कर लो सब मनोरथ सफल।
अविवाहित कन्याएं जितनी भी ,माता तुमको ध्याती है।
सुंदर सौम्य सुयोग्य पुरुष ,वर के रूप में पाती है।
विवाह काल का विलम्भ भी ,कुछ ही दिन में दूर करें।
लाल पहन कर पहनावा ,जो कन्या पूजा रोज़ करें।
कहते है माँ कात्यायनी ,बृज की देवी कहलाने को।
गोपियों ने पूजा जिसको ,कृष्ण को पति बनाने को।
गोधूली। बेला में पूजा , मैया तुमको प्यारी है।
महिषासुर को मारने वाली, करती सिंह सवारी है।
छठे दिवस जो साधक अपनी ,साधना पूरी करता है।
आज्ञा चक्र में साधक का मन ,पूर्ण व्यवस्तिथ रहता है।
इन की भक्ति करने से फल ,विशेष मिल जाता है।
अर्थ ,धर्म अरु काम मोक्ष ,सबका फल पा जाता है।
रोग शोक ओर मोह को माता ,पल में दूर भगाती है।
बाधाएं जो आती रहती ,उनको शीघ्र मिटाती है।
मोइया नाम की एक ओषधि ,कात्यायनी कहलाती है।
वात ,पित्त कफ त्रिदोष का , पूरा शमन कराती है।
मधु का सेवन करनेवाली ,’मधु’ की इच्छा पूर्ण करो।
मधु नादां है कि समझे पर ,उसको बाधा मुक्त करो।
कलम घिसाई
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मंत्र विशेष–
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना ।
कात्यायनी च शुभदा देवी दानवघातिनी
या देवी सर्वभूतेषु माँ शक्ति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।