देवदास
धड़कन की तरह उनको
दिल के पास रक्खा है
उनकी यादों में अपना नाम
देवदास रक्खा है
ना हाथों की लकीरों में
ना लिखी गई तकदीरों में
उनके बिना ऐसा लगे
सांसें रुकी जंजीरों में
मुस्कुराते होंठ मगर
दिल उदास रक्खा है
उनकी यादों में अपना नाम
देवदास रक्खा है
आँखों की नमी में
और होठों की हसीं में वो
उनकी याद का हर लम्हा
हमने संभाल रक्खा है
इसीलिए…
उनकी यादों में अपना नाम
देवदास रक्खा है