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3 Oct 2017 · 1 min read

देवता तो बनो तुम मगर तब बनो

छंद- गंगोदक (रगणX8)
मापनी- 212 212 212 212, 212 212 212 212
गीत
*****
स्थाई/मुखड़ा
==========
देवता तो बनो तुम मगर तब बनो,
आदमी से तो’ इनसान बन जाइए.
मिल सको तो मिलो सब से’ हँस कर मिलो,
हँस न पाओ तो’ मुसकान बन जाइये.
देवता तो बनो तुम मगर तब बनो……..”

अंतरा-1
======
कौन है जो नहीं जिंदगी में गिरा,
गिर के’ जो है उठा वह ही’ पहुँचा शिखर.
वक्त ने ही दिये हैं कई हौसले,
जो चला है उसी को मिली है डगर.

गलतियाँ तो सभी से हैं’ होती रहीं,
मान कर बस पशेमान बन जाइये.
देवता तो बनो तुम मगर तब बनो……..”

अंतरा-2
======
हैं भरे मोतियों से समंदर सभी,
है नहीं सब की’ फितरत में’ दरियादिली.
कौन है कितना’ शातिर बने बात तब,
किस में’ कितना जुनूँ कितनी’ है बेकली

हसरतों का कभी अंत होता नहीं,
जो मिले ले के’ श्रीमान बन जाइये.
देवता तो बनो तुम मगर तब बनो……..”

अंतरा-3
======
बाल सूरज को देते हैं सब अंजली,
सांध्यत सूरज का’ किसने दिया साथ है.
दाग़ है चाँद पर फिर भी’ है वो हसीं
दग्ध मुखड़े को’ किसने लिया हाथ है.

दर्द देना ही’ ‘आकुल’ नहीं जिंदगी,
दर्द ले कर निगहबान बन जाइये.
देवता तो बनो तुम मगर तब बनो……..”

टिप्‍पणी- लय को ध्‍यान रखते हुए
गुरु वर्ण पर मात्रा पतन के लिए चिह्न (‘) लगाया है.

Language: Hindi
Tag: गीत
282 Views
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