देर से सही मगर, हुआ इंसाफ आज है
करनी से भरनी का, हुआ मिलाप आज है
देर से सही मगर, हुआ इंसाफ आज है
हैवानियत के लिए यह, संदेश साफ आज है
देर से सही मगर, हुआ इंसाफ आज है
जाने कितने आंसुओं से रोज गुजरती रही
सात वर्षों से वो मां तो , रोज ही लड़ती रही
कानून की धाराएं उसे हर रोज ही छलती रही
पर वो न डिगी अपनी वो राह पर चलती रही
जीत गए निर्भया के मां-बाप आज हैं
देर से सही मगर, हुआ इंसाफ आज है
नर्क में ही उनका ठौर पहले होना चाहिए
दोषियों पर पूरा गौर पहले होना चाहिए
दंड का कड़ा ये तौर पहले होन चाहिए
इसका तो इंसाफ और पहले होना चाहिए
पूरे देश का सफल हुआ विलाप आज है
देर से सही मगर, हुआ इंसाफ आज है
देर से सही मगर, हुआ इंसाफ आज है
विक्रम कुमार
मनोरा, वैशाली