देर तक*
“वक़्त ने पहले सताया देर तक,
आस ने लड़ना सिखाया देर तक,
अर्जियों ने मेरी खुलकर बारहा,
आस का दर खटखटाया देर तक।
कुछ कहाँ चाहा था हमने खुदबखुद ,
बस जरुरत ने जगाया देर तक।
सब मिले तो क्या सुकूं होगा मेरा,
इस पहेली ने रुलाया देर तक।”
#रजनी