देते नहीं कुछ भी समाज को,बस केवल भड़काते हैं
देते नहीं कुछ भी समाज को, बस केवल भड़काते हैं
पनप रहे दल्ले समाज में, भाड़ इसी का खाते हैं
अपना उल्लू सीधा करते,माल विदेशी लाते हैं
सोचे समझे एजेंडे पर, अपने मिशन चलाते हैं
करते हैं कमजोर समाज को,देश को बहुत लजाते हैं
बचकर चलें इन दलालों से, वे सिर पैर लड़ाते है
धर्म जाति और अगड़ा पिछड़ा, अक्सर इनकी बातें हैं