*देती धक्के कचहरी, तारीखें हैं रोज (कुंडलिया*
देती धक्के कचहरी, तारीखें हैं रोज (कुंडलिया
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देती धक्के कचहरी, तारीखें हैं रोज
न्याय नहीं वर्षों मिला, कारण की हो खोज
कारण की हो खोज, न्याय की देवी माता
आसन से उठ शीघ्र, चला क्या तुम्हें न जाता
कहते रवि कविराय, दशक हर फाइल लेती
तुला हाथ में किंतु, तोलने ही कब देती
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451