देख ख़ुद को, कमियों की बात कर, हो रही जो, गलतियों की बात कर
#सफ़रनामा
देख ख़ुद को, कमियों की बात कर
हो रही जो, गलतियों की बात कर।
गिर के होगा अंदाज़ा, गहराइयों का
बंदिशें तोड़ने, पाबंदियों की बात कर।
ना डर, मिलने वाली असफ़लताओं से
बात करनी है, बुलंदियो की बात कर।
बहुँत रुलाती थी बचपन की रोक-टोक
हँसने के वास्ते, सख्तियों की बात कर।
ग़र होना है”बसंत”एक रोज़ कमतर से बेहतर
बहुत फ़ायदा है, नाकामियों की बात कर।
Basant_Malekar