देख सखी मधुमास आया
देख सखी मधुमास आया
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रूप अनूप भू ने पाया
देख सखी मधुमास आया ।
बैठ डाली पर जब गाया
गीत कोयल का वो भाया ।।
खेत सरसों से लहराया
ओढ़ पीत चुनर इतराया ।
खिले सुमन जगत मुस्काया
लिये महक चमन महकाया ।।
दिखा धूप नगर चमकाया
जीत ठंडक ध्वज फहराया ,
धरा पर फिर यौवन छाया
निरख गगन प्रेम मन लाया ।
डॉ. रीता सिंह
चन्दौसी (सम्भल)