देख सको तो देखो
गीतिका
(छंद- ‘सार’)
मात्रिक भार – 16-12
पदांत- देख सको तो देखो
समांत- अत
रुके हुए पानी की हालत, देख सको तो देखो.
बेघर बेचारों की आफत, देख सको तो देखो.
जिनके सिर पर हाथ नहीं है, उन अनाथ की आँखें,
भूख-प्यास की बेदम राहत, देख सको तो देखो.
नारी की अस्मिता बचेगी, कैसे जब दुर्जन में,
तन की भूख बनेगी हाजत, देख सको तो देखो.
नारी कैसे चंडी-दुर्गा, बन कर संहारेगी,
घर बच्चे होंगे तब आहत, देख सको तो देखो.
इक दिन अबला छोड़ मोह घर-बार बाल-बच्चों का,
‘आकुल’ बने बला की ताकत, देख सको तो देखो.