देख लूं तुम्हें
कहता है दिल कि मेरे यार देख लूं तुम्हें
ये धड़कनों की है पुकार देख लूं तुम्हें
क्या पता कि लौटके मैं आऊं या नहीं
जाने से पहले एक बार देख लूं तुम्हें
ना कोई अफसोस हो जीवन की राहों में
जी भर के तुम्हें देख लूं, भर लूं निगाहों में
हर बोझ को मन से उतार देख लूं तुम्हें
जाने से पहले एक बार देख लूं तुम्हें
एक झलक तेरी है खजाने से कम नहीं
जो लौट के न आया तो कोई भी गम नहीं
मिल जाएगा मुझको करार देख लूं तुम्हें
जाने से पहले एक बार देख लूं तुम्हें
विक्रम कुमार
मनोरा, वैशाली