देख लिया।
देख लिया।
आग मैं जल कर देख लिया
पल पल मर कर देख लिया।
सब के सब यहाँ पाखंडी है
हर राह पर चल कर देख लिया।
धुप से छाँव ढलकर देख लिया
खट्टे को मीठा कर के देख लिया
सबकी जुबां पर चाणकय है
गीता उपदेश पढ़ कर देख लिया।
अनीति निति कर के देख लिया
अपने पराये से प्रीति करके देख लिया।
वो समाज सभय्ता लुप्त हो चुकी है
वर्तमान भविष्य पढ़कर देख लिया।
आग मैं जल कर देख लिया
पल पल मर कर देख लिया।
©तनहा शायर हूँ