देख फिर आई होली
पीली सरसों ने किया, स्वर्ण कनक मनुहार
नीली अलसी मिल हुआ, अजब धरा श्रृंगार
अजब धरा श्रृंगार, देख फिर आई होली
रंग, अबीर, गुलाल, मस्त मस्तों की टोली
सुनकर ‘अदिति’ धमाल, छिपी सजनी नखरीली
साजन बन चितचोर, किया फिर नीली पीली
लोधी डॉ.आशा ‘अदिति’
भोपाल