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27 Dec 2020 · 1 min read

देख प्रिय

देख प्रिय ये सांझ भी ढलने लगी है
प्रेम की मोजें लवों सजने लगी है

राह देखूँ पर न आये अब तलक तू
आँख भी उस ओर को तकने लगी है

स्याह काली रात तेरी याद लाये
प्रेयसी तब याद कर मरने लगी है

तीव्र वेगों से थिरकती है हवायें
प्राण तन के तब हरण करने लगी है

नैन कोरों में जगी है जुम्बिशें जो
कर हमें तन्हा तनिक छलने लगी है

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