देख प्रिय
देख प्रिय ये सांझ भी ढलने लगी है
प्रेम की मोजें लवों सजने लगी है
राह देखूँ पर न आये अब तलक तू
आँख भी उस ओर को तकने लगी है
स्याह काली रात तेरी याद लाये
प्रेयसी तब याद कर मरने लगी है
तीव्र वेगों से थिरकती है हवायें
प्राण तन के तब हरण करने लगी है
नैन कोरों में जगी है जुम्बिशें जो
कर हमें तन्हा तनिक छलने लगी है