देख के रूप तेरा, मैं तो दिवाना हो जाता हूं।
देख के रूप तेरा,
मैं तो दिवाना हो जाता हूं।
इस जमीं के जैसा कोई स्वर्ग ही नहीं,
मैं तो मंत्र-मुग्ध हो जाता हूं।
देख के रूप तेरा . . . . . .
सज संवर के निकलती है,
हिरनी बल खाके चलती है।
झरना करती छम-छम पायल,
कोयल मीठी गुनगुनाती है।
इस मधुमास के जैसा कोई हुस्न ही नहीं,
मैं तो आशिकाना हो जाता हूं।
देख के रूप तेरा . . . . . .
तेरी आंखों की काली घटाओं से,
परियां भी काजल चुराती है।
मंद मंद पूरवाई में इतराके,
अपना आंचल लहराती है।
इस वादियों के जैसा कोई हसीन ही नहीं,
मैं तो कायल हो जाता हूं।
देख के रूप तेरा . . . . . .
तुमसे मिलकर दुनिया को भूल जाता हूं,
लोग कहते हैं कि मैं तो पागल हो जाता हूं।
ऐसी भी क्या दिवानगी मैं दिवाना हो जाता हूं।
न जाने दिल की बातें क्या क्या कह जाता हूं।
इस माया के जैसा कोई दिब्य ही नहीं,
मैं तो तेरे इश्क में खो जाता हूं।
देख के रूप तेरा . . . . . .