देख किशन को राधा
किशन को देख राधा बाबली है
पड़ी उसकी नजर जो सांवली है
चली आती सुनी जो बाँसुरी धुन
बनी श्यामा उसी की लाड़ली है
कदम्बे चढ़ चुरा कर के वसन जब
सहे सब गोपियाँ ये धाँधली है
गिरफ्तारी हुई है प्रेम में जब
सभी की खोपड़ी अब ओखली है
पकी है प्यार में कान्हा सखी सब
चखे जो बेर शबरी पोपली है