देख इंसान कहाँ खड़ा है तू
देख इंसान कहाँ खड़ा है तू,
लोगों के मेले हैं,
दर्द तूने कितने झेलें हैं,
उन दर्दों की दवा है तू,
देख इंसान कहाँ खड़ा है तू|
ये दुनिया के चेहरे हैं जिनमें राज़ गहरे हैं,
इस दुनिया का गवाह है तू,
देख इंसान कहाँ खड़ा है तू,
है तू भी यहीं लोग भी यहीं,
फिर भी अकेला खड़ा है तू,
देख इंसान बड़ा है तू,
रंग बिरंगी दुनिया में खड़ा है तू,
तभी तो बड़ा है तू,
देख इंसान कहाँ खड़ा है तू|
मजिल तेरी तू जाने,
लोगों के चेहरे तू पहचाने,
फिर भी यहीं खड़ा है तू,
चल आगे बढ़ क्यूकी दुनिया से लड़ा है तू,
डर तेरा तू ही जाने,
फिर क्यों इसे डर है तू,
क्यों रुका है एक ही जगह,
आगे बढ़ या चलता जा,
क्योंकि चमकाने वाला घड़ा है तू,
इंसान तू ही तो बड़ा है,
किस्मत से लड़ा है,
देख इंसान कहाँ खड़ा है तू,
आग तेरे अंदर है,
उसने आग का दिया है तू,
डरता क्यू है लोगो से,
डराने की हवा है तू,
देख इंसान आगे बड़ा है तू,
किस्मत तेरी भगवान ने लिखी,
वह किस्मत का बना है तू,
लकीरों में ज्वाला है तेरी,
उस ज्वाला से बना चिराग है तू,
देख इंसान अपनी किस्मत का जवाब है तू,
अब बहुत रुक गया,
आगे तो बहुत,
देख इंसान कहाँ खड़ा है तू|