देखो _देखो बादल कैसे झम झम झम बरसा रहे हैं
ये आसमां के आंसू हैं या बागों चमन नहा रहे हैं
देखो _देखो बादल कैसे झम झम झम बरसा रहे हैं
प्यासी धरती बोल रही है और भी पानी लाकर दो
नदियाँ नाले कहते हैं मुझको पानी _पानी कर दो
सूख गये थे जो पौधे वो जन्म नया हैं पाने लगे
मोर पपीहा कोयल सब हैं गीत खुशी के गाने लगे
मेढक देखो पीले पीले कैसा राग सुना रहे हैं
देखो _देखो बादल कैसे………
तहस _नहस होता है बहुत कुछ इन्सान संसार का
फिर भी बहुत भाता है हमें ये मौसम है जो प्यार का
फसल कहीं बह जाते हैं तो घर भी कभी ढह जाते हैं
फिर भी दुनिया वाले सबकुछ खुश हो के सह जाते हैं
ये सावन भादों हैं जो सदियों से सबको भा रहे हैं
देखो _देखो बादल कैसे झम……..
बरस रहे हैं ऐसे जैसे दुनिया से नाराज हों
इनकी वाणी इतनी कर्कश जैसे कड़वा राज हो
काली घटाएँ घेर के हम पर जाने क्यों धमकाते हैं
गली गली में कर के कीचड़ अपने गुम हो जाते हैं
अब तो सड़कों पे भी देखो सागर ही लहरा रहे हैं
देखो _देखो बादल कैसे झम………