देखो
अच्छे बुरे का फर्क मिटा कर देखो,
कब तक दूसरों को दिखाओगे,
खुद आईना उठा कर देखो|
मैं सही,तुम गलत,के खेल में,
लगा दी सारी शक्ति जीवन की,
आज दिल की अदालत बैठी है,
खुद को भी कटघरे में लाकर देखो|
कांटो का फूलों से रिश्ता बहुत पुराना है,
खुशी को ढूंढता तो सारा जमाना है,
व्यर्थ क्यों ओढ़ी हुई उदासी है,
होठों को हिलाओ, मुस्कुरा कर देखो|
तेरा मेरा में उलझ गए,
मानव धर्म बिसरा दिया,
अब भी समय शेष है,
सरल सुगम मृदुभाषी बन,
जो भी मिले राह में,
सबको गले लगा कर देखो||