देखो सूर्य दिलाने आये
गीतिका :-
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मजनूं वहीं पुराने आये।
लेकर नये बहाने आये।
बीच सफर में छोड़ गये थे,
कारण आज बताने आये।
अरमानों से खेल-खेल कर,
दिल अपना बहलाने आये।
जख्म पुराने भरे नहीं की,
नश्तर नये चलाने आये।
भूल नहीं पाया मैं तुमको,
किस्से नये सुनाने आये।
फिर से मुझको मीठी-मीठी,
बातों में उलझाने आये।
फूल बिछाओ राहों में जी,
देखो ‘सूर्य’ दिवाने आये।
(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
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