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28 Oct 2017 · 1 min read

देखो आ गई सर्दी

अपना रंग दिखा कर,
गर्मी अब बूढ़ी हो गई।
सर्दी ने जवानी की,
दहलीज़ पर रखा कदम,
और वो नवयौवना हो गई।।
अब जायके का दौर,
शुरू हो जाएगा।
मूंगफली, रेवड़ी, गज़क का,
स्वाद सबको भाएगा।।
खिलती धूप में फिर से,
आंगन में ताई-चाची, दादी-बुआ,
की महफ़िल सजेगी।
कोई सलाइयों पर स्वेटर बुनेगी,
तो कोई मोहल्ले की खबर देगी।।
रचनाकार-:कवि संजय गुप्ता
मोगीनन्द(नाहन),सिरमौर,हि0प्र0।

Language: Hindi
242 Views
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