देखेगा
ज़ब वो मेरी आँख की तरफ देखेगा
समझ लो ख़ाक की तरफ देखेगा
जिसे जलते समय कोई परवाह न थी,
वो भला राख़ की तरफ देखेगा??
मुझे मयस्सर है बस मुफलिसी मुझे देखे ही क्यों,
वो तो अपनी साख की तरफ देखेगा
मुझे देख ले तो शायद चुभ जाऊं मैं,
मुझे देखेगा तो अपनी नाक की तरफ देखेगा
मैं गमगीन गम का उदाहरण सा हूँ
वो मुझे नापाक की तरह देखेगा
ज्यादा सामने आने से कतराना मुनासिब,
गुस्सा हो जाये तो मुझे खुराक की तरह देखेगा
निगाह उसकी है वो मालिक है उसका
निगाह ना मानी तो इत्तेफ़ाक की तरफ देखेगा
-सिद्धार्थ गोरखपुरी