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15 May 2024 · 1 min read

देखा है

बर्बादी का मंजर भी
हमने देखा है
खुद के हाथों में खंजर भी
हमने देखा है।

खुशियां तो लाए नही
नापाक इरादे।
खुद को खुद पर भी मिटते
हमने देखा है।।

गोधूलि बेला के वो
लौटते पक्षी।
सूरज को भी डूबते
हमने देखा है।।

काला अक्षर हो जिनके लिए
भैंस बराबर।
बच्चे उनके अफसर बनते भी
हमने देखा है।।

जिनके अंदर हो कुछ
करने का जज्बा।
उन पंखों को भी उड़ते भी
हमने देखा है।।

Language: Hindi
26 Views
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