देखा है
बर्बादी का मंजर भी
हमने देखा है
खुद के हाथों में खंजर भी
हमने देखा है।
खुशियां तो लाए नही
नापाक इरादे।
खुद को खुद पर भी मिटते
हमने देखा है।।
गोधूलि बेला के वो
लौटते पक्षी।
सूरज को भी डूबते
हमने देखा है।।
काला अक्षर हो जिनके लिए
भैंस बराबर।
बच्चे उनके अफसर बनते भी
हमने देखा है।।
जिनके अंदर हो कुछ
करने का जज्बा।
उन पंखों को भी उड़ते भी
हमने देखा है।।