वजह ऐसी बन जाऊ
मुझे तो हर घरी हर पल, तेरे ख्वाबों में है रहना
तेरा खुमार हो मुझ पर, वही हर लब्ज़ में कहना
मुझे अपनी निगाहों में, इस तरह से छुपा लेना
वजह ऐसी बन जाऊ कि, तेरे जिस्म समंदर मे
मुझे हो डूबते रहना – मुझे हो डूबते रहना ।
कभी वो नीर बनकर मैं, तेरी आंखों से बह जाऊ
कभी वो रक्त बनकर मैं, तेरे रग रग में रह जाऊ
हो इतना मोहब्बत की,तेरी सांसों से होकर मैं
गुजर जाऊ उस धड़कन से, जहां आवाज धड़कन की
मुझे आवाज वो सुनना – मुझे आवाज वो सुनना |
कोई कांटे चुभती तुम तो, लगता फूल सा कोमल
कोई तकलीफ देती तुम, तो हो जाता वो अहम पल
कभी वो बूंद बनकर के, मुझे आकर भीगा देना
कि हो एहसास का वो पल, जो भरी हो मोहब्बत से .
मुझे उसमें ही है रहना – मुझे उसमें ही है रहना | –
✍️ बसंत भगवान राय