देखते हैं।
रद़ीफ- देखते हैं।
चुरा के वो हमको, नज़र देखते हैं।
वो घड़ी दो घड़ी में गज़र देखते हैं।
क्या रही मोहब्बत में मेरी,कसर देखते हैं।
चलो आज मोहब्बत का,असर देखते हैं।
वो तड़पाकर के,मेरा सब्र देखते हैं
खोदी जो खूदी की मैंने, कब्र देखते हैं।
हाय,अशआर गिनकर,बहृ देखते हैं।
है ग़ज़ल कैसे ढाती कहर देखते हैं।
वो मिलने का न कोई पहर देखते हैं।
लगा टकटकी घंटों ठहर देखते हैं।
हम उनमें मोहब्बत की नहर देखते हैं।
आंखों में खुशी की लहर देखते हैं।
सुन नीलम है तुझपे इनायत खुदा की
है दुआओं का तेरी , असर देखते हैं।
नीलम शर्मा