दें कैसे
उन्हें फुरसत ही नहीं रूठने से।
मेरे तबियत का खबर लें कैसे?
उसकी चाहत मुझे मालूम नहीं
तो अपनी जां ओ जिगर दें कैसे?
मुझे शक है कि तू नहीं है परदे में
तू मेरी इश्क़ है तो बोल नज़र दें कैसे?
उड़ गए खग इश्क़ को बंदिश कह के
तो अपने रब को मनहूस खबर दें कैसे?
©®दीपक झा रुद्रा