दृष्टिभ्रम
जैसे सूखे-से पत्ते किसी टहनी से लगे रहते हैं,
अपना जीवनचक्र भी चलता है बिल्कुल वैसे।
माना कि जो कल था वो आज नहीं है
यह भी सत्य है जो आज है वो कल नहीं रहेगा।
किंतु ‘हम तो रहेंगे ही’ मन में यह जो भ्रम है, वह भी इसी तरह से पलता ही रहेगा,
रहने या न रहने का क्रम भी यूँ ही चलता ही रहेगा।
यह मानव जीवन जो हासिल है फिलहाल,
दूषित आबोहवा से इसे बचाकर रखना इसका ख़याल।
जीवन काल में भले ही होते रहें तरह तरह के बवाल,
लेकिन उत्साह की सवारी पर चढ़, धैर्य को बनाये रखना है बहरहाल
कोई बात नहीं अगर कालचक्र आमादा हो कर देने पर बदहाल,
ऐसी मुसीबतों में भी दिखाते रहना अपना कमाल।
चोरी बेईमानी का जो करते हैं इस्तेमाल
उन्हें आजीवन होता रहता है मलाल।
भटकते मन के ईमान को रखना तुम सँभाल,
तभी रह पाओगे जीवनपर्यंत खुशहाल।
निराशा घेर ले तो मन में आशा की जोत जलाना, होना नहीं बेहाल
माना ये आसान नहीं है फ़िर भी आत्मविश्वास क़ायम रखना बहरहाल।
असल में सुखी तो वही हैं जो दुखियों का सहारा बन करते रहते उन्हें निहाल,
वही रहते हैं ताज़िन्दगी सुख्याति से मालामाल।
तुम भी अमल करके देखना मेरे मश्वरे पर
फिर आनेवाली पीढ़ियाँ देंगी तुम्हारी भी मिसाल।
प्रस्तुति:
पवन ठाकुर “बमबम”
गुरुग्राम!!
02/09/2021