दृष्टिबाधित भले हूँ
दृष्टिबाधित भले हूँ पर हीन भावना नही
दिव्यदृष्टि धारी हू, दया की दरकार नही
राह खुद अपना बनाते हम रहते है
सागर को नदी की दरकार कभी है नही।
दूसरे के वैभव से जलते नही है हम
नही है समस्या दृष्टीबाधा भी समझते है
दृष्टियो से होती है हजारों ही बुराइयां
ईश्वर के दिए में ही खुश हम रहते है।
देखते है दुनिया को हम सम भाव से
रंगों का विप्लव हमें न सताती है
श्वेत श्याम रंगों से सजी ये मेरी दुनिया
आभास बैकुंठ का हमको कराती है।
ईश्वर की विशेष अनुकंपा के धारी है
छटी ज्ञान इंद्री की कृपा पे हम वारी है
दे रहे चुनौती सबको दुनिया के खेल में
जीवन की चुनौतियों से जंग मेरी जारी है।
ईश्वर की विशेष अनुकम्पा के धारी है
छटी ज्ञान इंद्री की कृपा पे हम वारी है
दे रहे चुनौती सबको दुनिया के खेल में
जीवन की चुनौतियों से जंग मेरी जारी है
मानवीय सृष्टि के अभिन्न अंग हम भी
हमसे परहेज रोक कोई नही करिएगा
जितना भी देंगे सम्मान आप हमको
उसका दुगन आप हमसे भी लीजियेगा।
ईश्वर का स्वरूप है बसता हमी में
मुझे साध लिया तो वो भी सध जाएगा
किसी के दया के मोहताज हम है नही
लाजवाब हम सब अपने मे है सही।
मत ढूँढो ईश को मंदिर गुरुद्वारे में
दर्शन आओ तुम्हे हम ईश का कराते है
तीसरे नयन का वरदान हमको
जिस हेतु आप सब तरस ही जाते है
जिनको साक्षात पहचान नही पाते हो
आहट से पहचान उनको ही जाते है
नयन होते जो भी लोग सूरदास बने है
उनसे भी दुनिया को हम ही बचाते है।
अगली सदी में साथ हम भी संग जायेगे
वादा तुमसे दो हाथ आगे ही रहेंगे
काल के कपाट पर नए गीत हम सब
मिल कर संग संग तेरे खूब गाएंग।
बेशक ज्योति से कमजोर हम सब है
मानों तुम सब भी विचारों से अपंग हो
टूटे फूटे ईंट से इमारत नहि बनती
चलो एक सुझाव हम तुमको भी देते है ।
जहाँ हम भटक जाए राह तुम दिखाना जी
तेरे टूटे भावों को कंधे पे उठाएंगे
दोनों की आसान राह तब हो जाएगी
मिल के मंजिल साथ ही फतह कर पाएंगे।
जोश राष्ट्रभक्ति का कम नहि रखते
वक़्त पड़े मानव बम हम बन जायेंगे
अरि पे क़यामत बन हम फूट जायेगे
बेहिचक जान को हम भी लुटाएंगे।