दूसरों के हितों को मारकर, कुछ अच्छा बनने में कामयाब जरूर हो
दूसरों के हितों को मारकर, कुछ अच्छा बनने में कामयाब जरूर होते है,
मगर किसी मजबूर की आह!
न लगें,
इसकी दुआ भी हम मजबूर ही मांगते हैं
दूसरों के हितों को मारकर, कुछ अच्छा बनने में कामयाब जरूर होते है,
मगर किसी मजबूर की आह!
न लगें,
इसकी दुआ भी हम मजबूर ही मांगते हैं