Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Dec 2023 · 6 min read

“दूल्हे की परीक्षा – मिथिला दर्शन” (संस्मरण -1974)

डॉ लक्ष्मण झा परिमल

=================

मेरी शादी होनी थी ! जैसे सारे मैथिल ब्राह्मण के लड़के ,जिन्हें दूल्हा बनना होता था और शादी करनी होती थी , वे मिथिला के प्रसिद्ध सौराठ सभा में पहुँचते थे ! शादी के शुद्ध दिनों में 10 दिनों तक सौराठ सभा चलती थी ! सौराठ सभा बिहार के मधुबनी से पश्चिम 8 किलोमीटर पर स्थित है ! यहाँ मिथिला के प्रत्येक गाँव का अपना बैसारी होता था !अलग -अलग कम्बल बिछा के अलग – अलग गाँव बैठते थे ! सभा परिसर मे चारों तरफ आम के पेड़ लगे हुए थे ! और उन पेड़ों के नीचे अपने -अपने गाँव का बैसारी होता था ! नेपाल से भी मैथिल ब्राह्मण के दूल्हे बनने वाले लड़के आते थे ! प्रवासी मैथिल ब्राह्मण का भी ताँता लगा रहता था ! दरअसल यह पद्धति दरभंगा के राजा हरीसिंह देव 1310 ई0 ने प्रारंभ किया था और पंजी व्यवस्था (Registration System) का भी श्रीगणेश इन्होंने ही किया था ! सौराठ सभा में पंजीकार भी बैठते थे ! पड़ित और विद्वानों की उद्घोषणा के बाद एक दो साल अतिचार लग जाता था ! अतिचार के सालों में शादी विवाह और मंगल कार्य नहीं होते थे ! शुभकार्य सब बंद हो जाते थे !

सौराठ सभा में दूल्हे पहली परीक्षा

=======================

मैं अपने मामा गाँव पिलखवाड के बैसारी पर सभा के प्रथम दिन बैठा था ! मेरे साथ मेरे पिता जी और बड़े भाई बैठे थे ! पिलखवाड से मेरे बहनोई और उनके तीन भाई भी बैठे थे ! गाँव के और लोग भी थे ! हमलोग सब रंग -बिरंगी धोती ,कुर्ता और मिथिला पाग पहने हुए थे ! परीक्षा और साक्षात्कार करने के बाद ही लड़कों का चयन होता था ! ढंगा गाँव से कुछ बुजुर्ग और कुछ नवयुवक वर्ग आए ! बड़ों को प्रणाम किया और लोगों को नमस्कार ! वातावरण को आसान बनाने के लिए उनलोगों ने पूछा ,-

“ लड़का कौन हैं ?”

पिलखवाड के लोग मेरे तरफ इशारा करके कहा ,-

“ लड़का तो यही हैं !”

एक ने मुझसे पूछा ,- “ आप अपना परिचय दीजिए !

“ मेरा नाम लक्ष्मण झा है ,मेरे पिता जी का नाम पंडित दशरथ झा है ! मेरा गौत्र -वत्स है ,मूल पंचोभय कारिओन ! ग्राम -गनौली ,मातृक पिलखवाड ! मेरे एक बड़े भाई यहीं बैठे हैं ! उनकी शादी पिलखवाड ही हुई है ! मैं सेना में हूँ और मेडिकल का प्रशिक्षण लखनऊ में ले रहा हूँ !”

“गाँव गनौली आते -जाते हैं या नहीं ?”

“तनख्वाह मिलती है या नहीं ?”

“छुट्टी कितनी मिलती है ?”

“शराब ,खैनी,बीड़ी -सिगरेट, पान खाते हैं या नहीं?”

कुछ प्रश्न मेडिकल संबंधी भी पूछे गए !

इस इंटरव्यू में तो मैं पास हो जाता था पर गाड़ी मेरी अटक जाती थी वहीं पर कि मैं मिथिला से दूर दुमका में रहता हूँ ! और तो और फौजी जिंदगी तो और खतरनाक मानी जाती थी !

भाग्य को कहीं और ही मंजूर था ! मेरी शादी शिबीपट्टी में होने को तय हुई !

जाति ,गौत्र ,मूल और पूर्वजों का परीक्षण

===========================

हरेक क्षेत्र के अलग अलग पंजीकार होते थे ! उनके पास हमलोगों का रेकॉर्ड्स होता था ! जब किसी की शादी होती थी तो उनके पास जाकर पंजीकरण करबाकर सिद्धांत लिखबाये जाते थे ! जिसे आज हम Marriage Certificate कहते हैं ! आज केंद्र सरकार और राज्य सरकार Marriage Certificate देती है ! संभवतः इतनी पुरानी पद्धति मिथिला में उस समय विकसित थी ! इसकी और खास विशेषता थी !

जाति परीक्षण पंजीकार सात पीढियों को जाँच परखकर अपनी सहमति देते थे !

मेरे गौत्र की जाँच परख हुई ! पंजीकार ने अपने रजिस्टर को खंगाला और पाया उचित गौत्र ! उनदिनों ये भोजपत्र में पंजीकृत किये जाते थे ! मेरे मूल को भी देखा गया ! इस परीक्षण के उपरांत लड़कियों का भी रेकॉर्ड्स को देखा गया ! यह सारे परीक्षण बेमेल विवाह और अन्तर्जातीय विवाह को रोकना था !

इसके बाद पंजीकार ने अपने हाथ से भोजपत्र में सिद्धांत लिखा ! मूलतः सिद्धांत अपने रेकॉर्ड्स में उन्होंने रख लिया और हूबहू सिद्धांत की दो कॉपियाँ बनाकर वर और कन्या दोनों पक्ष को दे दिया गया ! अच्छे नंबर मिलने के बाद शादी की तैयारी शुरू हो गयी !

मेरी ससुराल में अग्नि परीक्षा

====================

हर पायदान पर मेरी परीक्षा हो रही थी ! और में सफल होता चला गया ! शिबीपट्टी में बाराती का स्वागत होने लगा ! वैसे 9 आदमी ही शिबीपट्टी बारात में आए थे ! गर्मी का समय था ! कोई शोरसराबा नहीं ! बस गाँव के लोग इकठठे हो गए थे ! पेट्रोमेक्स चार पाँच टेबल पर रखे थे ! गाँव में बिजली नहीं थी ! मेरे पिता जी और मेरे बड़े भाई मेरे साथ बैठे थे ! एक पेट्रोमेक्स मेरे सामने रख दिया गया था ताकि मेरी सूरत सराती को स्पष्ट नज़र आबे ! बड़े बुजुर्ग की टोलियाँ थीं ! बच्चों का जमघट और महिलायें चारों तरफ फैलीं हुईं थीं !

बारात को नाश्ता दिया गया ! नाश्ता के बाद चाय दी गई ! बुजुर्ग बुजुर्ग से पूछ -ताछ करने लगे ! गहन विषयों पर चर्चा हुई ! इस पूछ -ताछ के क्रम में एक दूसरे को बेबकूफ़ भी बनाते थे !

युवक वर्ग मेरे पास आकर मेरा परिचय पूछा और मेरा जमके मजाक उड़ाया ! हारने वाला मैं भी नहीं था सबके प्रश्नों को यथायोग्य उत्तर दिया !

पर हँसी -ठिठोली करने वाली लड़कियों को मैं नहीं जवाब दे सका ! चारों तरफ से लड़कियों ने घेर लिया और मुझे आँगन में ले जाने लगे ! सारी महिलायें गीत गा रहीं थीं और मुझे निहार भी रहीं थीं ! पर मुझे आँगन ले जाने से पहले उन लोगों ने दरवाजे पर ही रोक लिया ! मुझे आदर के साथ “ओझा” कहने लगे ! मिथिला में जमाई को नाम पुकार कर सम्बोधन नहीं करते हैं ! मिश्र को मिशर जी ,ठाकुर को ठाकुर जी ,चौधरी को चौधरी जी ,पाठक को पाठक जी इत्यादि कह कर सम्बोधन करते हैं ! पर अपने पारंपरिक मैथिली गीत के माध्यम से जम कर गाली देने लगे ! पता नहीं कहाँ -कहाँ से मेरे परिवार के सदस्यों को नाम पता कर रखा था ? यहाँ मेरी सहनशीलता की परीक्षा ली जा रही थी !

दूल्हे का शारीरिक परीक्षण

==================

दरवाजे पर पीतल का थाल लिए जिसमें घी के दीये ,कुछ धान ,फूल, दूभ ,कलश पानी से भरा और मेरी शादी के धोती ,कुर्ता कच्छा ,बनियान ,जूता मौजा और मिथिला पाग लिए कुछ महिलायें अंदर से आयीं ! गीत -नाद होने लगा ! पता लगा इस परीक्षण में “बिधकरी” का महत्व सर्वोपरि रहता है ! उन्हीं के नेतृत्व में दूल्हे का शारीरिक परीक्षण होता है ! “बिधकरी” मेरी होनेवाली पत्नी की मौसी थी ! औरतों ने चारों तरफ से घेर रखा था ! कुछ उनमें शरारती बच्चे और बच्चियाँ भी थीं ! वे देखते कम थे मुझे उँगली और चुटी काटते थे ! घर और गाँव के लोग भी पीछे खड़े थे ! दो तीन महिलाओं के आदेश सुनने में आए ,–

“ ओझा जी ,कपड़ा उतारू ,पाग घड़ी उतारू ! धोती खोलू ,अंगा (कुर्ता) उतारू आ जूता मौजा खोलू !”

थोड़ी शर्म लग रही थी ! यह कैसी परीक्षा ? अनजान औरत ,मर्द ,बच्चे गाँव के बीच सारे बदन से कपड़ा उतरना एक समस्या थी ! पर यह तो वर का निरीक्षण है ! मिथिला में नारी निरीक्षण बर्जित था ! अपनी होने वाली दुल्हन को मैंने देखा भी नहीं था ! बस लोगों की कही बातों पर शादी का निर्णय लड़के पक्ष वाले कर लेते थे !

मुझे अपना बनियान तक उतारना पड़ा ! गाँव के प्रायः -प्रायः लोग और महिलायें अपने साथ टॉर्च रखतीं थीं ! मेरे बदन में बहुत सारे टॉर्च मार -मार कर देखने लगे ! मुझे याद आने लगी अपना मेडिकल शारीरिक परीक्षण जब आर्मी में भर्ती हो रहा था ! यहाँ मुझे कपड़े नये -नये पहनाए गए ! आँखों में काजल महिला ने लगाया ! मुझे फिर पान दिया गया ! बैसे मैं पान खाता भी ना था ! और वह पान मुझे ज्ञात था कि जूठा पान खिलाया जा रहा है ! यह बातें मुझे मेरी माँ ने दुमका में बता रखी थी !

फिर मेरे सामने पराली लाए गए ! पूछा ,–“ क्या है?” मैंने कहा “ मूँज !

केले के पत्ते को दिखाया ! मैंने कहा ,–“भालर”

तीन तरह के पीठार दिखाए गए !मैंने जवाब दिया ,–“चावल के ,बेसन के और मैदा के!”

फिर बिधकरी ने मेरे नाक को अंगूठे और इंडेक्स अंगुली से जोर से दबाया और गीत -नाद करते हुए आँगन ले गए ! आँगन के चारों कोने पर मटके रखे हुए थे ! उन मटके को झुककर घुटने से ठोकर मारना था ! वो भी मैंने दक्षता पूर्वक पूरा किया !

शादी मंडप में बैठने के बाद यह बात सिद्ध हो गई कि मैं हरेक परीक्षाओं में पास हो गया ! और मेरी शादी हो गई !

मिथिला में यह रीति आज भी है पर रूप इसके कुछ बदल गए हैं ! मुझे तो काभी आनंद आया !

==================

डॉ लक्ष्मण झा”परिमल ”

साउंड हेल्थ क्लिनिक

डॉक्टर’स लेन

दुमका

झारखण्ड

भारत

02.12.2023

Language: Hindi
227 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
हर-सम्त देखा तो ख़ुद को बहुत अकेला पाया,
हर-सम्त देखा तो ख़ुद को बहुत अकेला पाया,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
एक उम्र तक तो हो जानी चाहिए थी नौकरी,
एक उम्र तक तो हो जानी चाहिए थी नौकरी,
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
मुझे आज तक ये समझ में न आया
मुझे आज तक ये समझ में न आया
Shweta Soni
रोज आते कन्हैया_ मेरे ख्वाब मैं
रोज आते कन्हैया_ मेरे ख्वाब मैं
कृष्णकांत गुर्जर
" दर्शन "
Dr. Kishan tandon kranti
समझ
समझ
Shyam Sundar Subramanian
लोगों के साथ सामंजस्य स्थापित करना भी एक विशेष कला है,जो आपक
लोगों के साथ सामंजस्य स्थापित करना भी एक विशेष कला है,जो आपक
Paras Nath Jha
प्रकृति को जो समझे अपना
प्रकृति को जो समझे अपना
Buddha Prakash
ब्राह्मण बुराई का पात्र नहीं है
ब्राह्मण बुराई का पात्र नहीं है
शेखर सिंह
रिश्ता
रिश्ता
अखिलेश 'अखिल'
बचपन और पचपन
बचपन और पचपन
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
यह कहते हुए मुझको गर्व होता है
यह कहते हुए मुझको गर्व होता है
gurudeenverma198
आज बगिया में था सम्मेलन
आज बगिया में था सम्मेलन
VINOD CHAUHAN
बेनाम रिश्ते .....
बेनाम रिश्ते .....
sushil sarna
कुछ खास दिलों को
कुछ खास दिलों को
shabina. Naaz
आज #कारगिल_विजय दिवस के मौक़े पर सरहद की हिफ़ाज़त के लिये शह
आज #कारगिल_विजय दिवस के मौक़े पर सरहद की हिफ़ाज़त के लिये शह
Neelofar Khan
नया विज्ञापन
नया विज्ञापन
Otteri Selvakumar
4287.💐 *पूर्णिका* 💐
4287.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
R
R
*प्रणय*
चिड़िया
चिड़िया
Dr. Pradeep Kumar Sharma
प्रेम की लीला
प्रेम की लीला
Surinder blackpen
जय श्री राम कहेंगे
जय श्री राम कहेंगे
Harinarayan Tanha
जो घटनाएं घटित हो रही हैं...
जो घटनाएं घटित हो रही हैं...
Ajit Kumar "Karn"
*मौत मिलने को पड़ी है*
*मौत मिलने को पड़ी है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
झुकना होगा
झुकना होगा
भरत कुमार सोलंकी
कत्ल खुलेआम
कत्ल खुलेआम
Diwakar Mahto
💐प्रेम कौतुक-561💐
💐प्रेम कौतुक-561💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
हिंदी भाषा में प्यार है
हिंदी भाषा में प्यार है
Sonam Puneet Dubey
“सुकून”
“सुकून”
Neeraj kumar Soni
Loading...