दूल्हे अब बिकते हैं (एक व्यंग्य)
दूल्हे बाजार में अब बिकते है।
ऑन व ऑफ लाइन बिकते है।।
दुल्हो का बाजार लगा हुआ है।
हर तरीके से वह सजा हुआ है।।
दूल्हे सजधज कर खड़े हुए हैं।
बायो डाटा लेकर खड़े हुए हैं।।
दूल्हे शो केसो में खड़े हुए है।
प्राइस टैग उन पर लगे हुए है।।
एम आर पी भी लिखी हुई है।
ब्लैक व्हाइट भी लिखी हुई है।।
एजेंट भी इनके घूमते रहते है।
अपना सौदा ये पटाते रहते है।।
एजेंट सब तरह के दूल्हे दिखाता है।
अपना कमीशन साथ में बताता है।।
सब तरह की गारंटी वह लेता है।
पर कुछ एडवांस में वह लेता है।।
कोई दूल्हा लाखो में बिकता है।
कोई करोड़ो में दूल्हा बिकता है।।
शादी के सब प्रबंध एजेंट करते है।
हर आइटम के पैसे अलग होते है।।
रस्तोगी और क्या लिखे दुल्हो के बारे में।
समझदार को बस एक इशारा होता है।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम