दूर हो कर भी कोई पास है/मंदीप
दूर हो कर भी कोई हमारे पास है,
हमारे दिल में बसा कोई खास है।
लाख कर लो सितम हम पर,
दिल को फिर भी उसी की आस है।
आते हजारो चहरे मेरी आँखो के सामने,
पता नही आँखो को फिर भी उसी की तलास है।
करता दिल मेरा प्यार उस को इतना,
मानो सागर में अभी भी प्यास है।
तड़पता “मंदीप”जैसे बिन पानी के मीन,
आओगे देखने एक दिन पास मेरे इतना तो विस्वास है।
मंडीपसाई