दूर है जाना…
तू न अपनी छाँव को अपने लिए कारा बनाना,जाग तुझको दूर है जाना,
चिन्हित करले जीवन लक्ष्य पथ को,नश्वर है जो उसे भूल जाना,
ये काया एक छल सी है…ना इसके मोहपाश में तू बंध जाना;
अंगारों की बिछी हो राह तो क्या,तू पुष्प समझ चलते जाना;
आह्लादित हो उठे कभी मन,ब्रह्माण्ड के नजारों से;
कल्पनायें विनाश पथ ले जातीं,ना पड़ना कहीं विकारों में;
निर्बाध गति से बढ़ना लक्ष्य की ओर इन संघर्षों से ना घबरा जाना!
तू न अपनी छाँव को अपने लिए कारा बनाना,जाग तुझको दूर है जाना!
तुझमें भीतर बाहर एक चंचलता है,जो तुझको पग पग भटकाएगी,
इस क्षणिक आकर्षण की लोलुपता,दिग्भ्रमित तुम्हें कर जायेगी;
इस क्षणभंगुर छल के आगोश में,गलती से ना समा जाना!
तू न अपनी छाँव को अपने लिए कारा बनाना,जाग तुझको दूर है जाना!
शंखनाद हो चुका…तू ध्यान कर, बागडोर ले संभाल…तू देश का कर मान ,
लावा/कम्पन/कोई वेग/तूफ़ान,ना डिगा सके तेरा मातृ अभिमान,
तेरा साहस ही अमृत वरदान,तू मद में चूर होकर देशभक्ति न भुला देना!
तू न अपनी छाँव को अपने लिए कारा बनाना,जाग तुझको दूर है जाना।