दूर से दिखता हमें फिर गम का साया है।
सावधान ओमीक्रान
गज़ल
2122……2122……2122……2
दूर से दिखता हमें फिर गम का साया है।
मुश्किलें फिर से बढ़ाने वक्त आया है।
हो न लापरवाह रहिए सावधानी से,
वक्त ये सबके लिए पैगाम लाया है।
ये कोरोना डेल्टा क्या कम मुसीबत है,
इक नई आफत ये ओमीक्रान आया है।
साथियों कस लो कमर औ हौसले रखिए,
फिर से दुश्मन ने हमारे सिर उठाया है।
जीत तय है हौसला गर जीत का हो तो,
मन से हारा जो वो हरदम सिर झुकाया है।
मुश्किलों का सिर कुचलकर है विजय पाई,
देख लेंगे कौन दुश्मन चढ़ के आया है।
प्रेम से काबू करेंगे जब उसे प्रेमी,
प्रेम से दुश्मन भी यारों मुस्कुराया है।
……..✍️ प्रेमी