दूर रहे गवाहों से
दिनांक 4/7/19
गुनाह
आसान है
आज करना गुनाह
मुश्किल है
रहना बेगुनाह
ईमानदार
होना है गुनाह
मेहनतकश
होना है गुनाह
भ्रष्टाचार में
लिप्त है जो
मानता सुखी
अपने को वो
है मायालोक ये
गंवाते अपना
सुख चैन वो
रखते पैर
अपराध की
दुनियां में
डूबाते नाम
माता पिता का
कोई बनता
डान तो कोई
चोर डाकू
देश समाज पर
मत बोझ बनो
अपराध की
तरफ मत बढो
दूर रहो गुनाहों से
यही है साधना
यही है ईमान
और होगा
तभी मान
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल